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मागर एकठो प्रेम गित हो || Magar Prem geet ho || Tharunk Bhojaha

मागर गित असिन गित हो बुझना मनैनके आँखिमसे आँस गिरा डेहट । इ गित असिन गितहो जेकर रहान से मनैनके मन गलाडेहट । सुन्टि मन गलाडेना गितके रहान से मनहे भावुक बना डेहट । मागरके रहान से भोजहा किल नाहि गिउरा-गिउरी, भौरा-भौरी, कुइलरियाके अस्टे राजनके बारे फेन गाइल सुन परट तर सबसे ढेर भोजहा मागर चलट । 


मागर एकठो प्रेम गित हो || Magar ek Prem geet  || Tharunk Bhojaha


बनोजहा गित सुरुहुइट ठकौनी खैना ठनसे । ठकौनि कलक एकठो लावा नाट जोर्ना हो जोन भोज कर्नासे पहिले हुइट् । थरुवा जन्नि के नाट जोरल पाछे बरे लम्मा जाल हस नाट फैल जैठैं जोन ठकौनि हुइलसे सुरु होजाइट । इ एकठो सैना जोर्ना काम हो । लौन्डिक घरक अपन छाइ हे ओकर करम घर सौंपना पक्का करल बाचा हो । ओ लौन्डा घरक लौन्डिहे अपन घरक सदस्यके रुपमे स्विकार कर्ना हो ।  ठकौनि पाछे एकठो लावा सैना सुरुहोजाइट । लौन्डिक ओरसे लौन्डक ओेरसे लावा टान लेके बोल्ना रहट । उ बेला फरक जिन्गि लागट एक ओर फोहा जाइट खुसिक मारे । लावा नाट लेके बोल्ना बरे मजा लागट । लौन्डि अपन घर अपन परयारन संग हँस्ना खेल्ना करठिन ओक ओर भोज पाछे उहे जल्मल घर डाइ, बाबा, डाडु भैया डिडि बहिन्याहे छोरके जाइ परना रठिन । 


लौन्डक घर से लौन्डिक घरक मनैन बरे भाबुन डेखजाइट काहेकि अपन जल्माइल लर्का परघर जैना उहे जिन्गि कटैना रलक मारे । लौन्डि फेन उहे सोचमे रठैं कि महि अपन जल्मल घर रहेपैना नैहो छोरके जैहि पर्बा ना जाने कैसिन बटै उ घरक मनै ओ जीवन जोरिया । काहे उहिसे जीवन गुजारा करे परना रठिन । अस्टे भावना समेटल मागर गिट बनल बा ।    ठकौनी खैना से लेके छाइक मागर से लेके निउटा पठैना, डिउलि डर्ना, डुल्हा संपरैना, बराट जैना, बराट फिर्टा समके सक्कु कार्य ओ डुनु परयारओरिक सुख डुखके मनक भावना गितमे बेलस जाइट । 


मागर गित भोजेम किल नाहि अागे पाछे एकठो सम्झना के रुपमे फेन गाइल सुनजाइट । क्वार कार्टिक से फागुन चैट सम मागर के सिजन रठिस । इ समयमे मागर गिट सोहाउन सुनपरट काहेकि हमार थरुनक भोहजा सिजन इहे हो । पहिले पुर्खनके चलाइल इ सिजन बरे फुसडके समय ओ जार ना घाम के समय ठिक्के सक्कुहुनके लाग मजा हुइना सिजन बनैले रहिंट । लग्गन नै हेरके डिन हे हेरके भोज करिट हमार पुर्खा ओइने ओहे फेन सब ठिकेठाक चल्टि रहिन । मने आप मनैनके सोच फरक होके ओ इच्छा चाहना फरक होके डेखिसिखा करके अपन जातिनके रिटि चालछछलन पहिचान हे सरंङ्ग भरंङ्ग पारल डेखजाइट । 


मागर गितके एक शब्द फेन सेने नै मिलट । जोन गितमे डुल्हा  डुल्हिनके जिन्गिक कहानी बा । जोन गित से मनक भिट्टरके मैयक आँसके बुंडा गिराडेहट । मागर एकठो प्रेम गित हो । इ गित मे  डु परियार से लेके डुल्हा डुल्हि बिचके मैयाँ मैयाँ बझाल बा । गितमे मनक बेडना, गिन्गिक कहानी, सुख डुखके भावना समेटल रहट । मागर गित हमार हो । हमार थारुनके निजि सम्पती । इ गित हे अबक हम्रे लावा युवा बचैहि परना बा जोन हमार पहिचान किल नै होके हमार सबके निजि सम्पती फेन हो । जस्टके सब जाती अपन रिटि संस्कृती हे बचाइक लाग ठेहुनी गरौअर भिरल बटैं असहेके हम्रहु भिरे पर्ना बा गोचाली हुँक्रे । 




- संगम चौधरी

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