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गुरहिक बाट ओनाइ बर

गुरहिक बाट ओनाइ बर


थारुनके हरेरि गुृरै के पाछे थारुनके पहिल तिह्वार गुरहिहे ठाउँ डेहल पागैलबा । गुरहि कलक छोट-छोट टेम्हरि लागल फुला हे संकेट करजाइठ् । एकठो सुनल बाट । 


ठोर ठोर गुरही मनैलक बाट सुनपरे । बुडि बुडु नाना नानि पहिले गुरहि मनैलक बाट कणिट । मै गुरहिक् बारेम नै जानल मनै ना डेखल रहुँ कसिक मनैठैं । पुँछुटे  कहिंट चिरकुटिक् गुरही-गुरहा बनाके गाउँक एकठो चौराहामे अस्राइ जैठाँ । 




बाट बरे गहिंर चलाजाए काहे मनाजाइट? के काका करठैं? अस्टे प्रस्न संगे इ टिह्वारके बारेम जन्नास बरे मन लागे । गुरहि कलक का हो ? झिंगौरा हे डोसर सब्डमे गुरहि कहिके चिन्हैठां पुर्खा लोग ।


टिना टावनके छोट फाराहेफेन गुरहा लागल बा कहिके सुन परट । कौनौ फेन फारा लग्ना फुलाहे गुरहा (टेम्ह्रि) फुला कहल सुनजाइट । साइड इहेमारे हुइ गुरहि तिह्वारमे फेन छोट-छोट गुरहि गुरहा, झिंगौरा के जस्टे डेख्नामे मनैके अकार जस्टे आँखि मुह रहल डुल्हा डुल्हि संपराइहस संपराइल, मुसन्डा ओ मुसन्डि बनाके लुगराले सेहेरके बनाइल डेखजाइट । उहे गुरहि गुरहा हे एकठो डोख/रोग भगैना कहिके गाउँक एकठो चौराहा मे अस्रैना चलन डेखजाइट । ओ उहे संगे गाउँ घरक डोख,रोग दुख बेराम निकरके जाइठ कना बिश्वास भेटाजाइट थारुनमे । 




पुर्खानके पालामे गुरहि पिटना सोटा रेंगाइल कसुङ्गाके बनैले रहिठ ओ सारा गाउँक एक जुटहोके भलमन्सा, महटौवाके अगुवाइमे गुरहि अस्रैना करिठ  । गोरु बछरु  मुरघि चिंग्ना बसेरा लेना जुन गाउँक् अघरिया , चौकीदरवाक अवाइमे गाउँक डाडुभैया ओ डिडीवहिनिया, छैला छैलिन  गरगहना, लावा–लावा लुगरा लगाके टठियामे मेरमेराइक भुजा, डुब्बा घाँस, रंगी बिरंगी लुग्रक गुरही-गुरहा लेले गाउँक् चौराहामे गाउँभरिक लउण्डा–लउण्डी ओ बुह्राइल मनै गुरहीक भुजा मागक लाग जुटल रना ।




अस्टके गाउँक् अघरिया गुरही बनाइल चिरकुटमे गाँठ पारके गुरही गुरहा ठठैना अह्राइल अनसार सक्कु लौंन्डा लर्का अपन रंगीबिरंगी  सोंटाले ठठैना ओ घुघरी (खैना भुजा ) मगना काम करजाए । असिक गुरही ठठैलेसे गाउँघरमे रहल डोख भागठ ओ गाउँहे दुःखसे छुटकारा मिलठ् कना  विश्वास रहल बा । असिके गाउँ घरेम नुकलरहल डोख रोग बिरोगहे मारपितके भगाइल खुसिम अपन लानल सक्कु सक्हुन मेर-मेराइक भुजा जस्टे– मकैक भुजा, चना, केराउ, भरठर आदि के भुजा सक्कुहुन एक–एकचुटि बँट्टि जैना चलन रहे । 

असिके ठठाइल गुरहि गुरहा हे घरक डुवारीम् झुलालैना ओ बाँटके बचल भुजा गुडा घरक छपरम छिट्कैसे घरक डोख भग्ना  ओ घरेम रहल साँप गोजर फेन निकरके भग्ठै कना विश्वास रहल बा कहिके पुर्खा लोग सुनैठैं ।




सावन मासके अँधरिया पाछे ओजरियाके पाँचवा रोज इ तिह्वार मनैना करिठ कलेसे आबक पुस्टा मे पात्रो अनसार  इ तिह्वार ठिक्के नागपञ्चमी के दिन परठैं ।  एकर प्रभाबसे थारुनहे अलमलमे परले बा, ओ गुरहि मनाइक छोर नागपञ्चमी मनैना ओर लागल बटै । जेकार कारन थारुनके गुरहिके असर परल डेखजाइट । जाति अनसार तिह्वारके नाउ ओ मनैना चलाउ फरक रलेसे फेन बिश्वास चाहना सबके एक्के देखा परठ । सब जहन सान्ति, उद्धार, मुक्ति चाहल बा, ओकरे लाग सबजे भिरल देखापरठ । पुजापाट, तरतिह्वार हर जाति जसिक मनैलेसे फेन अपन अपन जातिनके पहिचान बचैलेसे भलो हुइ जस्टे लागठ । 




थारुनके इ गुरहि मनैना पुरान चलाउ बिट्कोरके हेरेबर असिन लागठ कि बरष भरिक गाउँ घरेम रहल रोग बिरोगके प्रतिक  गुरहि ओ गुरहा बनाके ओइनहे गाउँम से नाकासी कर्ना ओ गाउँ  घरेम सान्ति खुसि भित्राइल उपलक्ष्य रमैना ओ खानपिन करके राहरंगि करना चलाउ अभिन टौगर देखापरठ । इ तिह्वार रोग बिरोग ओ खैना पिना  किल नैहोके थारुनके मुख्य पहिचान भेस पहिराउ ओ जाति चिन्हैनामे भारि भुमिका बतिस । 




इ टिह्वारमे थारुके तिरिया (जन्नि)जाति अपन घरेम रहल सक्कु सिँगार मे निकरल डेखजाइट । इहे बेला थारुनके अासलि पहिराउ हेरेमिलठ् । थारु जातिनके इ टिह्वार भारि नै रलेसे फेन सब्से पहिलामे जरुर पारठ् , ओहे मारे थारु सबजे अपन पहिला टिह्वार गुरहिहे सिँगार पटार करेपरना जरुरि देखारठ् । इ टिह्वार हे बिना थरुवक राण जन्निहस नै छोर्ना हो, काहेकि इ टिह्वार धिरेधिरे लोप हुइटि गैल देखापरटा । तबेमारे  थारु समाजके आँखी उघ्रना जरुरी बिल्गाइठ ।


- संगम चौधरी.....✍️

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